अजीज भी तू....मेरा नसीब भी तू है दुनिया की भीड़ में मेरे सबसे करीब भी तू है तेरे ही एहसासों से चलती है मेरी साँसे, मेरी जिंदगी भी तु है मुझ मै भी तु है.
ज़हर को चख के परखने की ज़िद... शायद मोहब्बत इसे ही कहते हैं...
कांटो में भी फूल खिल सकते है तो तुम्हारे दिल में हमारे लिए प्रेम क्यू नही?
तेरे होंठो से मेरे होंठ छूने दे, तेरी बाहों में मेरी बाहें होने दे, लिपट जाऊ मैं तुझे इस तरह, जरा थोड़ी रात तो होने दे।
बिछड़ गए तो उम्र भर ये दिल लगेगा नहीं, लगेगा ,लगने लगा है मगर लगेगा नहीं
रो तो मैं दूँ मगर डरता हूँ इस बात से, कि मेरी तरह ही आँसू भी मेरे, नज़रंदाज़ न हो जाएँ कहीं
तुम ठंड से कांप कर लिपट जाओगी मुझसे, बस इसी ख़्याल से दिसंबर बहुत पसंद है मुझे
कहते सुनते बात तुम्हारी, सो जाता हूँ, ऐसे ही मैं हर रोज़ तुम्हारा, हो जाता हूँ।
जिसके लिए लिखता हूँ वो जिंदगी है मेरी और मेरी पंसद है तो यकीनन लाजवाब ही होगा वह
सर्द मौसम का कोई एक जुगाड़ तो होना चाहिए, महबूब, शराब, सिगरेट, चाय कुछ तो होना चाहिए.
उफ्फ होश में तो आने दो हमे की हम पर,,,,तेरे ख्यालों का असर हैं,,,,! मदहोश किया हैं तुमने,,,ये तुमको भी कहां खबर हैं___!!
दरवाजे में उंगली दबी रह गयी... ना उसने पलटकर देखा, न मैंने दुबारा आवाज लगाई..!
शाम ख़ामोशी से खड़ी है घर की दहलीज़ पर.! लो वक़्त हो चला है उनकी यादों के आने का.!!