निर्मला उपन्यास का सारांश – Summary Of Novel Nirmala By प्रेमचन्द

प्रेमचंद द्वारा लिखित उपन्यास “निर्मला” काफी प्रसिद्ध है। यह उपन्यास महिलाओं के विभिन्न मनोवैज्ञानिक और सामाजिक मुद्दों पर प्रकाश डालता है। पूरी कहानी बहुत ही मार्मिक है। महिला केंद्रित साहित्य में इस उपन्यास का स्थान विशेष है। प्रेमचंद की उत्कृष्ट रचनाओं में से “निर्मला” को एक माना जाता है।

निर्मला प्रेमचन्द

प्रेमचंद का जीवन परिचय

पूरा नामधनपत राय श्रीवास्तव
जन्म31-जुलाई – 1880
प्रमुख रचनाएंसेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, निर्मला, गबन, कर्मभूमि, गोदान, कफन, पूस की रात, पंच परमेश्वर, बड़े घर की बेटी, बूढ़ी काकी, दो बैलों की कथा आदि
भाषाहिन्दी और उर्दू
मृत्यु8-October – 1937

सारांश

यह कहा जा सकता है की यह हिंदी साहित्य का पहला मनोवैज्ञानिक उपन्यास है।

इसने हिंदी साहित्य में एक नए युग की शुरुआत की है। प्रेमचंद की इस उपन्यास की प्रमुख किरदार है “निर्मला”। जिसके पास अपने भाग्य का अनुसरण करने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं था। निर्मला की जिंदगी बहुत दुखद रही हैं, इस किरदार में खुशी तो मुझे कहीं दिखी ही नहीं।

हर तरफ से उसे दुख ही मिले जैसे-:

(i) निर्मला की शादी के वक्त उसके पिताजी का गुजर जाना।

(ii) उसके बाद उसे दहेज की आभाव में एक ४० वर्षीय व्यक्ति से उसकी शादी होना, जो की उसे स्वीकार नहीं था।

(iii) उसके बड़े सौतेले बेटे के साथ में कुछ देर बैठ कर हस-बोल लेती थी, तो घर वाले ने उसके साथ भी इसके अनैतिक संबंध के बारे में विचार लिया कि उनके बड़े बेटे के साथ निर्मला का चक्कर है और यह पता चलने के बाद दुख से बेटे ने भी अपने प्राण त्याग दिए ।

(iv) बाकि दो सौतेले बेटे भी घर से दूर हो गए और धीरे धीरे घर की आर्थिक स्थिति भी खराब हो गई, जिसके बाद उसके पति भी घर से चले गए।

(v) उसके बाद निर्मला को एक दोस्त मिली जिसके घर टूटने का भी कारण कहीं ना कहीं निर्मला रही।

निर्मला को कभी भी वह खुशी नहीं मिली जो कि एक स्त्री के रूप उसे मिलनी चाहिए थी उसने जिंदगी में कभी सुख देखा।

यह उपन्यास उन सभी समस्याओं को दर्शाता है इनका सामना उस समय की महिलाओं ने किया था, और कहीं ना कहीं आज भी कर रही है।

यह उपन्यास इस बारे में है कि परिस्थितियों लोगों को कैसे बदलती है, वह कैसे प्रतिक्रिया देते हैं, और विभिन्न परिस्थितियों में वह क्या से क्या बन जाते हैं। इस कहानी से ये तो पता चलता है की यदि शादी सही व्यक्ति से नहीं होती है तो उसका खामियाजा जिंदगी भर भुगतना होता है। और शायद निर्मला की जिंदगी में यह उतार आने का मुख्य कारण भी यही था कि उसकी शादी अच्छी जगह नहीं हुई। जिसकी वजह से निर्मला ने मरते वक्त यह कहा था की, उसकी बेटी की शादी किसी कुपात्र से नहीं करना, उससे पहले आप इसे जहर देकर मार देना पर कभी किसी कुपात्र से मेरी बेटी की शादी कर उसकी जिंदगी बर्बाद नहीं करना।

इस उपन्यास को पढ़ने के बाद एक बार फिर यह साबित हो जाता है की प्रेमचंद को क्यों महान साहित्यकार का दर्जा प्राप्त है। मेरा मानना है की इस किताब को सभी को पढ़ना चाहिए, खास कर हिंदी साहित्य के छात्रों को तो अवश्य पढ़नी चाहिए।

अन्य पढ़े

Buy This Book 📙

Frequently Asked Questions Questions

प्रेमचंद किस काल के कवि थे?

आधुनिक काल

प्रेमचंद की प्रमुख रचनाएं किस भाषा में है?

हिन्दी और उर्दू

प्रेमचंद का जन्म कहाँ हुया था?

लमही, वाराणसी

उम्मीद है आपको यह सारांश बहुत पसंद आया होगा तो ,आप इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें ताकि वो भी इसे पढ़ सके!

धन्यवाद

3 thoughts on “निर्मला उपन्यास का सारांश – Summary Of Novel Nirmala By प्रेमचन्द”

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.